Shisha Ho Ya Dil Ho : Lata Mangeshkar



Sheesha Ho Ya Dil Ho - शीशा हो या दिल हो :

शीशा हो या दिल हो..
आखिर, टूट जाता है....
लब तक आते आते हाथो से
सागर, छूट जाता है...
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है

काफी बस अरमान नही
कुछ मिलना आसान नही
दुनिया की मजबूरी है
फिर तकदीर ज़रूरी है
ये जो दुश्मन है ऐसे
दोनो राज़ी हो कैसे
एक को मनाओ तो दूजा, रूठ जाता है...
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है

बैठे थे किनारे पे,
मौजो के इशारे पे..
हम खेले तूफानो से
इस दिल के अरमानो से
हमको यह मालूम ना था
कोई साथ नही देता..
माझी छोड़ जाता है
साहिल, छूट जाता है...
शीशा हो या दिल हो..
आखिर, टूट जाता है....
शीशा हो या दिल हो

दुनिया एक तमाशा है
आशा और निराशा है
थोड़े फूल है काटे है
जो तकदीर ने बाटे है
अपना अपना हिस्सा है
अपना अपना किस्सा है
कोई लुट जाता है
कोई, लूट जाता है...
शीशा हो या दिल हो
आखिर, टूट जाता है....
लैब तक आते आते हाथो से
सागर, छूट जाता है...
शीशा हो या दिल हो

Film : Aasha आशा ( १९८० - 1980 )
Song : Sheesha Ho Ya Dil Ho
Singer : Lata Mangeshkar
गीतकार : आनंद बक्षी
संगीतकार : लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल

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